आमीन हुसैन, RATLAM. मध्य प्रदेश समेत पूरे देश भर में दीपावली के पर्व को लेकर लोगों में उत्साह है। दीपावली से पहले बाजार गुलजार हो गए हैं। मंदिरों को विशेष तरह से सजाया जा रहा है। देश के कई राज्यों में दीपावली पर्व पर मंदिरों को सोने-चांदी समेत नोटों से सजाया जाता है। जहां भगवान के दर्शनों के लिए मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है दूर-दूर से लोग दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। मध्य प्रदेश के रतलाम में महालक्ष्मी मंदिर है जहां देवी के मंदिर को करोड़ों रुपयों और सोने- चांदी से हर साल सजाया जाता है इस साल भी मंदिर को विशेष तरह से नोटों से सजाया गया है।
धनतेरस पर मां लक्ष्मी की पूजा
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में जानते हैं दिवाली के दौरान मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना खास तौर से की जाती है। धनतेरस का दिन मां लक्ष्मी के दिन के रूप में पूजा जाता है, इस दिन लोग सोने-चांदी जैसी चीजें अपने घरों में लेकर आते हैं। मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में महालक्ष्मी मंदिर को दिवाली के दिन सोने-चांदी से सजाया जाता है। यहां हर तरह के करेंसी नोट भी चढ़ाए जाते हैं।
महालक्ष्मी मंदिर पर बरसा धन
आपको थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में मौजूद महालक्ष्मी के मंदिर को करेंसी नोट्स से सजाया जाता है आपने आजतक फूलों से मंदिरों की सजावट के बारे में सुना होगा लेकिन कभी सोने-चांदी और नोट्स से मंदिर को सजते हुए देखा है? इस मंदिर में ये सब होता है कहते हैं कि दिवाली के मौके पर धनतेरस से लेकर पांच दिन तक दीप उत्स्व का आयोजन किया जाता है और मंदिर की दीवार, मां की मूर्ति की सजावट नोटों से की जाती है। इसके अलावा मंदिर के प्रांगण में मौजूद झालर को नोटों की गड्डियों से सजाते हैं। इन सबकी वजह से यहां हर साल भक्त आते हैं।
करोड़ों रूपए से सजाया जाता है मंदिर
मंदिर को एक या दो लाख से नहीं बल्कि करोड़ों के करेंसी नोट्स से सजाया जाता है। अब इतने नोट्स अगर चढ़ाए जा रहे हैं तो यकीनन मंदिर की सिक्योरिटी पर भी ध्यान दिया जाता होगा। यहां हर साल सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं कहते हैं जब पूजा-पाठ चलती है तब तक मंदिर के चारों और पुलिस पहरा देती है ताकि मंदिर में कोई चोरी न हो ।
प्रसिद्ध मंदिर के बारे में दिलचस्प कहानियां
कहते हैं कि इस मंदिर में जो भी भक्त दर्शन करने के लिए आता है उसे प्रसाद में नोट दिए जाते हैं कई लोगों को तो प्रसाद के रूप में सोना चांदी भी मिलता है अगर मंदिर की पौराणिक काठ पर गौर करें, ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में राजा-महराजा सुख समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए मंदिर में पैसे के साथ आभूषण चढाने के लिए आया करते थे उसके बाद ऐसा समझा जाने लगा कि मंदिर में पैसे या आभूषण चढाने से घर में धन की कमी नहीं होती, तब से भक्त मंदिर में आभूषण और पैसे चढाने लगे हैं।